Super Computer in Hindi हेलो दोस्तों आज हम आपको बताने वाले हैं की सुपर कम्प्यूटर क्या है और हम इसके साथ ही साथ बताएंगे इसका इतिहास तो आपको इस आर्टिकल को बहुत ही ध्यान से पढ़ना है क्योंकि मैंने इसमें बताया है सुपर कंप्यूटर का इतिहास और से ऊपर कंप्यूटर क्या है आपने बहुत से आर्टिकल पड़े होंगे लेकिन आपको इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद दूसरा आर्टिकल पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी अगर दोस्तों इस लेख में बताए गए पॉइंट को आप पढ़ेंगे तो आपको पता चल जाएगा की आखिर सुपर कंप्यूटर क्या होता है तो चलिए शुरू करते हैं
सुपर कंप्यूटर क्या है (What Is Supercompute)
सुपर कंप्यूटर यानी कि एक ऐसी मशीन जो बड़ी से बड़ी कैलकुलेशन भी सेकंड के लाख में हिस्से में कर ले किसी भी कंप्यूटर को इस काबिलियत के आधार पर सुपर कहा जाता है कि वह कितना बड़ा कैलकुलेशन कितनी जल्दी कर लेता है सुपर कंप्यूटर की गति की गणना फ्लॉप्स यानी कि फ्लोटिंग पॉइंट्स ऑपरेशन पर सेकंड में की जाती है साधारण कंप्यूटर की कार्य की गणना मैप्स यानी कि मिलियंस इंस्ट्रक्शन पर सेकंड में की जाती है.
आधुनिक युग के सुपर कंप्यूटर में हजारों प्रोसेसर होते हैं जो प्रति सेकंड और वह ऑस्ट्रेलियाई गणना करने में सक्षम होते हैं सुपर कंप्यूटर समांतर प्रसंस्करण यानी कि पैरेलल प्रोसेसिंग के आधार पर काम करते हैं प्रत्येक काम को कई भागों में विभाजित किया जाता है.
और प्रत्येक माइक्रोप्रोसेसर हर भाग में दिए गए कार्य को करता है नए जमाने में सुपर कंप्यूटर में डिडक्शन ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है हालांकि मैन्युफैक्चरर अपनी जरूरत के हिसाब से ऑपरेटिंग सिस्टम को चेंज भी कर लेते हैं लिरिक्स के अलावा ब्लॉक सक्स सूसेंट आस और क्रिलिनॉक्स जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है.
सुपर कंप्यूटर से होने वाले काम
सुपर कंप्यूटर की जरूरत वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग प्रयोग जिम बहुत ज्यादा डाटा पेस और हाई लेवल के कैलकुलेशन की गणना की जाती है के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन बदलते समय के साथ सुपर कंप्यूटर से लिया जाने वाला काम भी बदल गया है सुपर कंप्यूटर बहुत तेज शक्तिशाली और महंगे होते हैं इसीलिए इसका उपयोग वहीं पर किया जाता है जहां पर बहुत बड़ा और तेजी से कैलकुलेशन करना होता है.
इसके अलावा स्पेशल ऑपरेशंस में भी इसकी जरूरत पड़ती है सुपर कंप्यूटर को खास तौर से जलवायु अनुसंधान मौसम की भविष्यवाणी तीन और गैस की खोज शारीरिक सिमुलेशन आणविक मॉडलिंग क्वांटम यंत्र की एनीमेटेड ग्राफिक्स परमाणु ऊर्जा अनुसंधान तरल गतिशील गणना कोड ब्रेकिंग जेनेटिक एनालिसिस जैसे शोधों में की जाती है.
सुपर कंप्यूटर की कीमत
सुपर कंप्यूटर की की इस बात पर निर्भर करती है यह कितनी फ्लोटिंग प्वाइंट पर सेकंड की गति से गणना कर सकता है सुपर कंप्यूटर जितना तेज होगा वह उतना ही महंगा होगा इसीलिए सुपर कंप्यूटर को बनाना और इस्तेमाल करना इतना आसान नहीं होता है सामान्य सुपर कंप्यूटर लगभग $20000 में खरीदा जा सकता है लेकिन बड़े सुपर कंप्यूटर की कीमत 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाती है.
सबसे तेज सुपर कंप्यूटर
विश्व के दो सबसे तेज सुपर कंप्यूटर अब अमेरिका की है इन दोनों कंप्यूटर के नाम है सबमिट और शेर यह दोनों आईबीएम टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं 2018 में दुनिया के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर का ताज फहराया गया था उसने गणितीय परीक्षण लिमिटेड का प्रदर्शन 30 सेकंड 122. सेकंड पर किया था सबमिट के पहले चीन का सर्वे टाइम फ्लाइट विश्व का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर था जिसका अनुमानित मूल्य 273 मिलियन अमेरिकी डॉलर है कुल मिलाकर सबसे तेज 10 सुपर कंप्यूटर में 5 अमेरिका से है दो चीनी है जबकि स्विट्जरलैंड जापान और जर्मनी के पास एक एक है.
भारत का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर
प्रत्यूष का उद्घाटन 8 जनवरी 2018 को केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने किया था और यह पुणे में है भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान आईटीएम में स्थित है भारत के सुपर कंप्यूटर के टॉप स्पीड फुल 2.56 सेकंड है जबकि चीन के सुपर कंप्यूटर के टॉप स्पीड 125436 डी ब्लॉक पर सेकंड है अगर भारत के सुपर कंप्यूटरों की बात की जाए तो प्रत्यूष मेहरीन से एक पीटा फ्लेक्स और परम सीरीज के हैं.
सुपर कंप्यूटर का इतिहास
1946: ENIAC का आविष्कार
1946 में, John Mauchly और J. Presper Eckert ने University of Pennsylvania में ENIAC (Electronic Numerical Integrator And Computer) का आविष्कार किया। यह पहला general-purpose, electronic computer था और इसकी लंबाई करीब 25 मीटर (80 फीट) और वजन करीब 30 टन था। इसे military-scientific problems को solve करने के लिए डिज़ाइन किया गया था और यह सबसे पहला scientific supercomputer था।
1953: IBM 701 का आविष्कार
1953 में, IBM ने सबसे पहला general-purpose mainframe computer, IBM 701 (जिसे Defense Calculator के नाम से भी जाना जाता था), develop किया और करीब 20 machines को विभिन्न government और military agencies को बेचा गया। यह 701 सबसे पहला off-the-shelf supercomputer था। इसके बाद, IBM के इंजीनियर Gene Amdahl ने इसे redesign किया और इसका नाम IBM 704 रखा गया, जिसमें करीब 5 KFLOPS (5000 FLOPS) की computing speed थी।
1956: Stretch Supercomputer
1956 में, IBM ने Stretch supercomputer को develop किया, जो Los Alamos National Laboratory के लिए था। यह करीब 10 वर्षों तक दुनिया का सबसे fastest supercomputer रहा।
1957: Control Data Corporation (CDC) का संस्थापन
1957 में, Seymour Cray ने Control Data Corporation (CDC) की स्थापना की और उन्होंने fast, transistorized, high-performance computers का निर्माण किया, जैसे CDC 1604 (1958 में घोषित) और 6600 (1964 में रिलीज़ हुआ), जो IBM के dominance पर mainframe computing को challenge किया।
1972: Cray Research की स्थापना
1972 में, Cray ने Control Data को छोडकर Cray Research की स्थापना की और high-end computers का निर्माण किया, जिसमें machines के internal connections को कम करने का मुख्य उद्देश्य था ताकि उनकी speed बढ़ सके। Cray के प्राचीन कंप्यूटर आमतौर पर C-आकार के होते थे, जिनसे वे अन्य कंप्यूटरों से अलग रख सकते थे।
1976: Cray-1 Supercomputer
1976 में, पहला Cray-1 supercomputer Los Alamos National Laboratory में इंस्टॉल किया गया। इसकी स्पीड तब करीब 160 MFLOPS थी।
1979: Cray-2 Supercomputer
1979 में, Cray ने फिर से एक और faster model develop किया, जिसमें eight-processor थे, और इसका नाम Cray-2 रखा गया। इसमें wire connections को पहले के मुकाबले 120 सेंटीमीटर से 41 सेंटीमीटर (16 इंच) तक कम किया गया।
1983: Connection Machine
1983 में, Thinking Machines Corporation ने massively parallel Connection Machine का निर्माण किया, जिसमें करीब 64,000 parallel processors का उपयोग किया गया था।
99% लोग नहीं जानते होंगे की सुपर कंप्यूटर क्या कार्य करता है हम आपको पूरी डिटेल के साथ बताएंगे कि आखिर यह क्या कार्य करता है लेकिन उससे पहले लिए इसका संक्षिप्त इतिहास जान लेते हैं तो सन 1800 की साड़ी में अमेरिकी जनगणना करने में बहुत लंबा समय लगता था और जगह से लोगों data मैन्युअल एनालाइज किया जाता था जिसमें बेहद लंबा समय लगता था अमेरिका के 1880 की जनगणना में करीब 2 साल लगे थे.
इसके बाद इसी समय उस असेंबली ने हर 10 साल में इसे करने का निर्णय लिया इसके बाद इस काम में और भी ज्यादा स्टाफ और तेज गति से रिकॉर्ड बनाने की जरूरत पड़ने लगी इस समस्या से निपटने के लिए हरमन होलीडेज ने ऐसी मशीन बनाई जिसे बेहद कम समय में इस जनगणना के डाटा को अलग-अलग जैसे आगे जेंडर रेस वगैरह को सुम्मराइज करके रिकॉर्ड किया जा सकता था.
जैसे किसी एरिया में कितने लोग की सेज ग्रुप के हैं यह करने के लिए ऐसे कार्ड बनाए जाते थे जिसमें पंच होल होते थे और यह हॉल विभिन्न तरह का डाटा होता था फिर इन कार्ड को यह मशीन रीड कर लेती थी और आदर्श गए एनालॉग में सी आगे बढ़ जाती थी यह घड़ियां विभिन्न ग्रुप की होती थी कई कार्ड रीड करने के बाद इस डाटा को मैन्युअल लिख लिया जाता था और इसके साथ ही उसे कार्ड को रखने के लिए एक स्पेसिफ इस बोला जाता था और इस तरह दो कर एक साथ किया जा सकते थे.
पहले डाटा को समराइज करना और दूसरा उन कार्ड को सोर्सिंग करना जिसे बाद में एनालाइज किया जा सके यह मशीन 7000 कार्ड तक को रीड करके उसकी समरी को एनालॉग पर दिखा सकती थी इसके बाद इसे रिसेट करके दोबारा से उपयोग में लाया जाता था और इस तरह से उसे समय इतने बड़े डाटा को प्रोसेस करने के लिए समय को बहुत हद तक काम कर दिया गया था जिसके बाद हरमन हाल लेट में इस मशीन को मैन्युफैक्चर करने की कंपनी बना ली और इस मशीन का कार्य सिर्फ जनगणना में नहीं किया गया.
बल्कि इसका उपयोग कई कंपनियों ने अकाउंटिंग और ट्रैकिंग इन्वेंटरी में करना शुरू कर दिया था उसे समय और भी कंपनियां थी जो कि ऑफिस से रिलेटेड चीज बनती थी इनमें से चार कंपनियों को 1911 में चार्ल्स रनलेट फ्लिंट में स्टॉक एक्विजिशन के माध्यम से जोड़कर एक नई कंपनी बनाई जिसका नाम कंप्यूटिंग टेबुलेटिंग रिकॉर्डिंग कंपनी रखा गया यानी सीटर यह कंपनी ऐसी टेबलेटिंग मशीन बनाकर भेजती थी जैसा कि बताया कि यह मशीन न सिर्फ जनगणना में उपयोग होती थी बल्कि इसका उपयोग दूसरी कंपनियों ने भी करना शुरू कर दिया था.
ऐसा फीचर जोड़ा जो की काफी हैरान करने वाला था और यह पहली ऐसी मशीन थी जो ऐसा कुछ कर सकती थी दरअसल एंड रिकॉर्ड न्यूयॉर्क में स्थित बिन कंपनी के सीईओ ऑप्शन का कोलंबिया के प्रोफेसर पी बोर्ड से मिलना जुलना था और प्रोफेसर ने ही सीओ वाटसन से कहा कि इन मशीनों को बना बनाकर बेचने के बजाय इसका उपयोग गणित की समस्याओं को हल करने के लिए बनाया.
जाए इसके बाद उन्होंने आईबीएम के इंजीनियर जेम्स बेस और जॉर्ज दिल्ली से ऐसा करने को कहा तब उन्होंने ऐसी बेहद बड़ी मशीन बनाई जो की स्क्वायर नंबर को जोड़ सकती थी इसी नंबर के स्क्वायर का मन बता सकती थी साथ यह पहली ऐसी पंच कार्ड मशीन थी जो कि डायरेक्ट घटा भी सकती थी और कई प्रॉडक्ट्स को तुरंत जोड़ देती थी जिस वजह से न्यूयॉर्क वर्ल्ड में सुपर कंप्यूटिंग कहा.
और यहां से अतिरिक्त तेजी से गणना करने वाली कंप्यूटर को इस शब्द से नवाजा जाता है और इस तरह आईबीएम ने 1949 तक तेजी से गणना करने वाली पंचकर्ड टैबलेट्स बनाएं यह मशीन इलेक्ट्रो मैकेनिकल थी मतलब इन्हें चलाने के लिए स्विच रिले और गैर की जरूरत पड़ती थी वैसे मशीन बढ़िया कार्य करती थी लेकिन डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर के क्षेत्र में प्रगति होने लगी थी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स मतलब की ट्रांजिस्टर की वजह से इनमें गणना करने के लिए लगभग ऑटोमेटिक कार्य हो जाता था.
सुपर कंप्यूटर के उदाहरण
Fugaku
- Fugaku एक सुपरकंप्यूटर है जिसे जापान में RIKEN और Fujitsu द्वारा विकसित किया गया था। यह दुनिया का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर है, जो 415.53 petaflops (PFlops) की शीर्ष परफॉर्मेंस प्रदान करता है। Fugaku का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, जैसे कि मौसम विज्ञान, चिकित्सा अनुसंधान और सामग्री विज्ञान के लिए किया जाता है।
Frontier
- Frontier एक सुपरकंप्यूटर है जिसे Oak Ridge National Laboratory में IBM और Cray द्वारा विकसित किया गया था। यह दुनिया का दूसरा सबसे तेज सुपरकंप्यूटर है, जो 1.102 exaflops (EFlops) की शीर्ष परफॉर्मेंस प्रदान करता है। Frontier का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, जैसे कि ऊर्जा अनुसंधान और परमाणु भौतिकी के लिए किया जाता है।
LUMI
- LUMI एक सुपरकंप्यूटर है जिसे CSC (Centre for Scientific Computing) और NVIDIA द्वारा विकसित किया गया था। यह दुनिया का तीसरा सबसे तेज सुपरकंप्यूटर है, जो 151.9 petaflops की शीर्ष परफॉर्मेंस प्रदान करता है। LUMI का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, जैसे कि मौसम विज्ञान, चिकित्सा अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी के लिए किया जाता है।
PARAM-10000
- PARAM-10000 एक सुपरकंप्यूटर है जिसे भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु द्वारा विकसित किया गया था। यह दुनिया का चौथा सबसे तेज सुपरकंप्यूटर है, जो 5.9 petaflops की शीर्ष परफॉर्मेंस प्रदान करता है। PARAM-10000 का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, जैसे कि मौसम विज्ञान, चिकित्सा अनुसंधान और सामग्री विज्ञान के लिए किया जाता है।
Cray-1
- Cray-1 एक सुपरकंप्यूटर है जिसे Cray Research द्वारा विकसित किया गया था। यह 1976 में दुनिया का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर था, जो 1.9 gigaflops की शीर्ष परफॉर्मेंस प्रदान करता था। Cray-1 का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, जैसे कि मौसम विज्ञान, चिकित्सा अनुसंधान और सामग्री विज्ञान के लिए किया जाता था।
Summit
- Summit एक सुपरकंप्यूटर है जिसे Oak Ridge National Laboratory में IBM और Cray द्वारा विकसित किया गया था। यह 2018 से 2022 तक दुनिया का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर था, जो 148.6 petaflops की शीर्ष परफॉर्मेंस प्रदान करता था। Summit का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, जैसे कि ऊर्जा अनुसंधान और परमाणु भौतिकी के लिए किया गया था।
Belle
- Belle एक सुपरकंप्यूटर है जिसे Riken और KEK द्वारा विकसित किया गया था। यह 1999 से 2000 तक दुनिया का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर था, जो 1.3 teraflops की शीर्ष परफॉर्मेंस प्रदान करता था। Belle का उपयोग क्वांटम भौतिकी अनुसंधान के लिए किया गया था।
Deep Blue
- Deep Blue एक सुपरकंप्यूटर है जिसे IBM द्वारा विकसित किया गया था। यह 1997 में शतरंज के विश्व चैंपियन, गैरी कास्परोव को हराने वाले पहले कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध है। Deep Blue का उपयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुसंधान के लिए किया गया था।
Hydra
- Hydra एक सुपरकंप्यूटर है जिसे Argonne National Laboratory में विकसित किया गया था। यह 1985 से 1989 तक दुनिया का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर था, जो 3.1 teraflops की शीर्ष परफॉर्मेंस प्रदान करता था।
सुपर कम्प्यूटर क्या है
इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भी धीरे-धीरे 142 1945 के बीच एंटरेंस आफ वेरी कंप्यूटर एनिग्मा कोलोसस पर सैनिक जैसे कंप्यूटर का निर्माण किया गया इनमें वैक्यूम ट्यूब और डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट का उपयोग किया गया था जो की इलेक्ट्रॉन मैकेनिक मशीन से ज्यादा तेज गति से कैलकुलेशन कर सकते थे और उसे समय यह मशीन बहुत तेजी से गणनायक करने लगी थी इसलिए जाहिर सी बात है उन्हें उसे समय का सुपर कंप्यूटर कहा जाता था कोलोसिस साइबर को डिकोड कर सकता था.
और अन्य कंप्यूटर बैलिस्टिक मिसाइल की ट्रांजैक्ट्री को कैलकुलेट कर सकता था इसके साथ ही इसमें प्रोग्रामिंग करके विभिन्न कैलकुलेशन करवाए जाते थे यह प्रोग्रामिंग स्विच के ऑन और ऑफ करने से होती थी इनपुट को देने के लिए आईबीएम कार्ड रीडर का इस्तेमाल किया जाता था जो कि इस कंप्यूटर में स्टोर करने के लिए कोई मेमोरी नहीं थी इसलिए आउटपुट प्राप्त करने के लिए आईबीएम पंच कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था फिर इन्हें आईबीएम अकाउंटिंग मशीन में डालकर प्रिंटेड आउटपुट प्राप्त किया जाता था .
और मेमोरी के लिए इन कार्ड को रख लिया जाता था फिर डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर भी अपग्रेड होने लगे इसके बाद ट्रांजिस्टर राइट कंप्यूटर भी बनना शुरू हो गए थे इनमें भी समय के साथ-साथ और भी पहले कंप्यूटर आने लगे जैसे 1960 में क्रेन ट्रांसिस्ट्रीज कंप्यूटर बनाया जो रिलीज के बाद दुनिया का सबसे फास्टेस्ट कंप्यूटर था आईबीएम ने भी इस तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया था.
और इस कंपनी ने भी ऐसे कई कंप्यूटर बनाएं जो तेजी से गणना कर सकते थे लेकिन से और क्रेन है डीसी सीरीज के माध्यम से फास्टेस्ट कंप्यूटर बकंपनी मैनेजमेंट का मानना था वे इन मशीनों को कमर्शियल और बिजनेस के तौर पर बनाएं लेकिन तेरे कुछ और ही चाहते थे वह दुनिया का सबसे तेज गणना करने वाले कंप्यूटर बनाना चाहते थे.
जिसके बाद उन्होंने और 30 इंजीनियर ने मिलकर सीबीसी 6600 बनाकर सबसे तेज गणना करने वाला कंप्यूटर बना दिया जो सही मायने में एक सुपर कंप्यूटर था जिसकी टक्कर आईबीएम भी नहीं ले सका क्योंकि यह कंप्यूटर कर आईबीएम 7094 कंप्यूटर के बराबर गणना कर सकता था फिर तो क्रेन कई सुपर कंप्यूटर इनमें समय के साथ-साथ जैसे जर्मेनियम ट्रांजिस्टर की बजाय सिलिकॉन ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया जाने लगा इसके इस्तेमाल न करने में बेहद तेजी आई और साथ ही हिट प्रॉब्लम भी कम हुई फिर टेक्नोलॉजी बढ़ती गई .
और क्षमता भी बढ़ती चली गई और साथ में इसे बनाने वाली कंपनियां भी तो यह तो रहा इसका इतिहास इससे पहले की यह बात करें कि इनका उपयोग क्या है आईए जानते हैं कि आजकल के सुपर कंप्यूटर के देखिए यह जो हमारे घरों में कंप्यूटर और मोबाइल होते हैं उनमें भी कैलकुलेशन होती है लेकिन यह ज्यादा बड़ी कैलकुलेशन नहीं कर सकते और जो छोटे-मोटे इंडिविजुअल्स होते हैं लेकिन बड़े-बड़े सिम कंप्यूटर की मदद से किया जाता है और सुपर कंप्यूटर अर्बन खरगोन कैलकुलेशन मात्र एक सेकंड में कर देते हैं.
फूल सीपीयू और सीपीयू लगे होते हैं जो की बहुत बड़ी कैलकुलेशन को एक साथ करने में सक्षम होते हैं हमारे कंप्यूटर में एक या दो प्रोसेसर लगे होते हैं लेकिन सुपर कंप्यूटर में कई प्रोसेसर लगाए जाते हैं जो की एक साथ खरग कैलकुलेशन कर सकते हैं प्रोसेसर के साथ-साथ इसमें होती है जो की कैलकुलेशन पर काम करने वाले डाटा को स्टोर करता है ताकि यह उन्हें जल्दी से लोड कर सके क्योंकि एचडीडी हार्ड डिस्क में भी डाटा को स्टोर किया जा सकता है लेकिन एक्सेस करने के लिए इसमें देर लग सकती है.
इसलिए जल्दी से एक्सेस करने के लिए सभी कंप्यूटर में राम लगाई जाती है इसके साथ ही आउटपुट के डाटा को स्टोर करने के लिए एचडीडी का इस्तेमाल किया जाता है और कई हार्दिक शुभ मिलकर एक बड़ा स्टोरेज सिस्टम बनाया जाता है जिसमें इतने बड़े डाटा को स्टोर करके रखा जाता है सुपर कंप्यूटर में लगे हुए कई प्रोसेसर एक स्पेशल कनेक्शन के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं तो एक बेहद बड़ी कैलकुलेशन को सुपर कंप्यूटर छोटे-छोटे तू छोटे-छोटे एक साथ पूरा कर देता है.
अगर हम इसे एक उदाहरण से समझे तो यह ऐसा है जैसे घर की सफाई करने में एक व्यक्ति थोड़ा ज्यादा समय लगा लेकिन कई लोग इस घर की अलग-अलग समय थोड़ा कम लगेगा तो इस तरह बड़े प्रॉब्लम को छोटे-छोटे प्रोसेसर उसे पर काम करते हैं और एक साथ परिणाम भी दे देते हैं इसमें इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर के एल्गोरिथम को भी पैरेलल प्रोसेसिंग को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जाता है.
ताकि इसका इस्तेमाल भी पूरी तरह से कर सके जब इन्हें चलाया जाता है तो बहुत बड़ी मात्रा में बिजली की खपत होती है और इसकी प्रोसेसिंग पावर की वजह से यहां पर गर्मी भी बहुत बढ़ जाती हैनाएंचर्स की मशीनों को भी रिप्लेस कर दिया जाता था जिससे इसे बनाने वाली कंपनी को गवर्नमेंट की तरफ से भारी मुनाफा होता था सन 1924 में इस सीटीआर कंपनी का नाम बदलकर इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कर दिया गया.
सुपर कंप्यूटर के फायदे – Advantages of Super Computer in Hindi
सुपर कंप्यूटर एक ऐसा कंप्यूटर है जो एक साधारण कंप्यूटर से हजार गुना तेज़ गति से काम करता है। इसे वैज्ञानिक कार्यों के अलावा कई विशेष कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है। सुपर कंप्यूटर के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं.
- सुपर कंप्यूटर अपनी जबरदस्त कम्प्यूटेशनल शक्ति के कारण विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इनके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- सटीकता (Accuracy): सुपर कंप्यूटर काफी सटीक परिणाम देते हैं। यह एक बार में बिना कोई गलती किये अरबो खरबो गणना कर सकते हैं। इसकी वजह से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को जटिल समस्याओं को हल करने में मदद मिलती है।
- गति (Speed): सुपरकंप्यूटर के कार्य करने की गति काफी तेज होती है। यह बहुत ही कम समय में कठिन गणनाओं को हल कर सकता है। इसकी वजह से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अपने कार्यों को जल्दी से पूरा करने में मदद मिलती है।
- सुरक्षा (Security): सुपरकंप्यूटर काफी सुरक्षित होते हैं। इसमें सुरक्षा बढ़ाने के लिए यूजर पासवर्ड को डिक्रिप्ट (Decrypt) कर सकता है। इसमें यूजर का डाटा पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। इसे कोई हैकर hack नहीं कर सकता।
- डेटा प्रोसेसिंग (Data Processing): यह कंप्यूटर बड़ी मात्रा में डेटा को प्रोसेस कर सकता है। यह वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अपने कार्यों के लिए आवश्यक डेटा को जल्दी से और आसानी से प्राप्त करने में मदद करता है।
- जटिल कार्य (Complex Tasks): यह कंप्यूटर जटिल से जटिल कार्यों को आसानी से कर सकता है। यह वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अपने कार्यों को अधिक कुशलता से करने में मदद करता है।
- टिकाऊपन (Durability): सुपरकंप्यूटर लंबे समय तक खराब नहीं होते। यह लगातार कई वर्षों तक काम कर सकते हैं। इसकी वजह से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अपने कार्यों के लिए एक स्थिर और विश्वसनीय कंप्यूटर प्राप्त होता है।
- समय की बचत (Time Saving): यह कम समय में अधिक समस्याओं को हल करता है जिसकी वजह से यूजर के समय की बचत होती है। यह वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अपने कार्यों को जल्दी से पूरा करने में मदद करता है।
- पर्यावरण की रक्षा (Environmental Protection): सुपरकंप्यूटर पर्यावरण की रक्षा करता है। यह किसी भी प्रकार पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता। इसके लिए सुपरकंप्यूटर में नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
- वर्चुअल टेस्टिंग (Virtual Testing): सुपर कंप्यूटर आपको वर्चुअल टेस्टिंग करने की अनुमति देता है। इससे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अपने कार्यों को सुरक्षित और कुशलता से करने में मदद मिलती है।
सुपर कंप्यूटर के नुकसान – Disadvantages of Super Computer
- बड़ा आकार: सुपर कंप्यूटर बहुत बड़े होते हैं, जिससे उन्हें रखने और संचालित करने के लिए बहुत अधिक जगह की आवश्यकता होती है। एक सुपर कंप्यूटर को संचालित करने के लिए एक विशेष कमरे की आवश्यकता होती है जिसमें पर्याप्त ठंडा करने और बिजली की आपूर्ति हो।
- रखरखाव: सुपर कंप्यूटर जटिल उपकरण हैं जिन्हें नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है। यह रखरखाव महंगा और समय लेने वाला हो सकता है। सुपर कंप्यूटर को ठंडा रखने के लिए, उन्हें विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए उपकरणों की आवश्यकता होती है। इन उपकरणों को नियमित रूप से मरम्मत और रखरखाव की आवश्यकता होती है।
- पोर्टेबिलिटी: सुपर कंप्यूटर बहुत भारी और जटिल होते हैं, जिससे उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल हो जाता है। एक सुपर कंप्यूटर को स्थानांतरित करने के लिए विशेष उपकरणों और विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है।
- ऊर्जा की खपत: सुपर कंप्यूटर बहुत अधिक ऊर्जा की खपत करते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। एक सुपर कंप्यूटर प्रति वर्ष हजारों डॉलर की बिजली की खपत कर सकता है।
- कर्मचारी: सुपर कंप्यूटर को संचालित करने और बनाए रखने के लिए विशेषज्ञ कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। इन कर्मचारियों को सुपर कंप्यूटर के जटिल हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर को समझने और संचालित करने में प्रशिक्षित होना चाहिए।
- गर्मी: सुपर कंप्यूटर बहुत गर्मी पैदा करते हैं, जिससे उन्हें ठंडा करने के लिए अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता होती है। सुपर कंप्यूटर को ठंडा करने के लिए, उन्हें विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए एयर कंडीशनर या वाटर कूलिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है।
- वाटर कूलिंग: सुपर कंप्यूटर को ठंडा करने के लिए वाटर कूलिंग की आवश्यकता हो सकती है, जो महंगा और जटिल हो सकता है। वाटर कूलिंग सिस्टम को सुपर कंप्यूटर के आसपास की जगह को साफ और सूखा रखने की आवश्यकता होती है।
सुपर कंप्यूटर के प्रकार
- क्लस्टर कंप्यूटर: IBM Blue Gene/L
- वेक्टर प्रोसेसर: Cray-3
- स्पेशल-उद्देश्य के कंप्यूटर: IBM Deep Blue
- सरल सुपर कंप्यूटर: Fujitsu A6400
- मल्टि-प्रोसेसिंग सुपर कंप्यूटर: Cray XC40
- सुपरस्केल सुपर कंप्यूटर: IBM Summit
- क्लस्टर कंप्यूटर
क्लस्टर कंप्यूटर कई कंप्यूटरों का एक समूह होता है जो एक साथ काम करते हैं। क्लस्टर कंप्यूटर को जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के नेटवर्क का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि Ethernet, InfiniBand, या Myrinet।
- वेक्टर प्रोसेसर
वेक्टर प्रोसेसर वे सुपर कंप्यूटर होते हैं जो वेक्टर प्रोसेसिंग का उपयोग करते हैं। वेक्टर प्रोसेसिंग एक प्रकार की समानांतर प्रोसेसिंग है जिसमें एक ही समय में कई डेटा बिट्स पर एक ही प्रकार का ऑपरेशन किया जाता है।
- स्पेशल-उद्देश्य के कंप्यूटर
स्पेशल-उद्देश्य के कंप्यूटर एक विशिष्ट कार्य के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं, जैसे कि मौसम का पूर्वानुमान लगाना, परमाणु विस्फोट का मॉडल बनाना, या शतरंज खेलना।
कार्यप्रणाली के आधार पर सुपर कंप्यूटर के प्रकार
- सरल सुपर कंप्यूटर
सरल सुपर कंप्यूटर एकल-प्रसंस्करण इकाइयों (CPUs) का उपयोग करते हैं। ये सुपर कंप्यूटर आमतौर पर छोटे होते हैं और कम शक्तिशाली होते हैं।
- मल्टि-प्रोसेसिंग सुपर कंप्यूटर
मल्टि-प्रोसेसिंग सुपर कंप्यूटर कई CPUs का उपयोग करते हैं। ये सुपर कंप्यूटर आमतौर पर बड़े होते हैं और अधिक शक्तिशाली होते हैं।
- सुपरस्केल सुपर कंप्यूटर
सुपरस्केल सुपर कंप्यूटर बहुत बड़े होते हैं और बहुत शक्तिशाली होते हैं। ये सुपर कंप्यूटर अक्सर कई हज़ार CPUs का उपयोग करते हैं।
सुपरकंप्यूटर और मेनफ्रेम कंप्यूटर दोनों कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।
सुपरकंप्यूटर
- उद्देश्य: सुपरकंप्यूटरों का उपयोग बड़े और जटिल गणितीय संगणनाओं को करने के लिए किया जाता है। इनका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, मौसम विज्ञान, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है।
- प्रदर्शन: सुपरकंप्यूटर दुनिया के सबसे तेज कंप्यूटर हैं। ये एक सेकंड में अरबों या खरबों फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशन (FLOPS) निष्पादित कर सकते हैं।
- आकार: सुपरकंप्यूटर बड़े और महंगे होते हैं। वे आमतौर पर एक विशेष वातानुकूलित कक्ष में स्थित होते हैं।
- उपयोगकर्ता: सुपरकंप्यूटरों का उपयोग आमतौर पर बड़े संगठनों या संस्थानों द्वारा किया जाता है।
मेनफ्रेम कंप्यूटर
- उद्देश्य: मेनफ्रेम कंप्यूटरों का उपयोग एक ही समय में बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान करने के लिए किया जाता है। इनका उपयोग बैंकिंग, वित्त, विनिर्माण, सरकार और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है।
- प्रदर्शन: मेनफ्रेम कंप्यूटर सुपरकंप्यूटरों की तुलना में कम शक्तिशाली होते हैं, लेकिन वे अभी भी बहुत तेज़ होते हैं। वे एक साथ लाखों या करोड़ों निर्देश निष्पादित कर सकते हैं।
- आकार: मेनफ्रेम कंप्यूटर सुपरकंप्यूटरों से छोटे होते हैं, लेकिन वे अभी भी बड़े और महंगे होते हैं।
- उपयोगकर्ता: मेनफ्रेम कंप्यूटरों का उपयोग आमतौर पर बड़े संगठनों या संस्थानों द्वारा किया जाता है।
निष्कर्ष
दोस्तों मैं इस आर्टिकल में बहुत ही बारीकी से बताया है कि तू सुपर कंप्यूटर क्या होता है इसका इतिहास और इसके क्या-क्या प्रकार और कैसे उपयोग होता है मैंने सारी जानकारी शॉर्टकट में दी है उम्मीद करता हूं आपने इस आर्टिकल को पूरा पढ़ा होगा और आपको अच्छे तरीके से मालूम हो गया होगा कि सुपर कंप्यूटर क्या है.
FAQ – Super Computer in Hindi
सुपर कम्प्यूटर क्या है
सुपरकंप्यूटर एक बहुत तेज़ और शक्तिशाली कंप्यूटर होता है जो अत्यधिक गणना कार्यों को करने में मदद करता है।
सुपरकंप्यूटर का उपयोग कैसे होता है?
सुपरकंप्यूटर विज्ञान, गणना, और अन्य अधिक गणना आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग होता है, जैसे कि जैवविज्ञान, मौसम फॉरेकास्टिंग, और अंतरिक्ष अनुसंधान में।
सुपरकंप्यूटर का इतिहास क्या है?
सुपरकंप्यूटर का इतिहास 1960 के दशक में शुरू हुआ था, और इसके बाद से यह तेजी से विकसित हुआ है। पहला सुपरकंप्यूटर Cray-1 1976 में बनाया गया था।
सुपरकंप्यूटर के उपयोग क्षेत्र क्या हैं?
सुपरकंप्यूटर अधिकतर जगहों पर गणना, वैज्ञानिक अनुसंधान, और आवश्यक गणना क्षेत्रों में उपयोग होता है, जैसे कि मौसम फॉरेकास्टिंग और डेटा विश्लेषण।